डॉ. रामबली मिश्र
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डॉ० रामबली मिश्र कृत सवैया
तरना भव सागर से करना, हर सुंदर काम रहे मन में।
शुभ मानव भाव पिलाय चलो, अति व्यापक रूप रहे तन में।
शिव वाण चले मनमोहन का, मधुरी रसना अनुशासन में।
मत होय कठोर कभी जियरा, मन बैठ रहे शिव आसन में।
Varsha_Upadhyay
03-Jan-2023 08:22 PM
शानदार
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Haaya meer
01-Jan-2023 09:23 PM
👌👌
सीताराम साहू 'निर्मल'
01-Jan-2023 08:27 PM
Muskan khan
01-Jan-2023 07:23 PM
Nice 👍
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Varsha_Upadhyay
03-Jan-2023 08:22 PM
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Haaya meer
01-Jan-2023 09:23 PM
👌👌
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सीताराम साहू 'निर्मल'
01-Jan-2023 08:27 PM
शानदार
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